Friday 1 March 2013

तकदीर कब बदलती है ?


अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं  कि मेरी तकदीर कब बदलेगी ? ज़ाहिर सी बात है कि लोग तकदीर अच्छी कब होगी , यह जानना चाहते हैं . कुछ लोग यह पूछते हैं कि क्या करने से तकदीर करवट ले सकती है.       

आज का लेख विस्तार में यह बताएगा कि   "  आखिर तकदीर कब बदलती है ? "

लेकिन याद रखिये तकदीर बदलने का मतलब बुरे से अच्छा और अच्छे से बुरा दोनोँ से ही है . ज्योतिष  शास्त्र  की भाग्य परिवर्तन पर क्या राय है , मैं उसकी जानकारी  आप को  दे रहा हूँ .

भारतीय ज्योतिष के तीन आधार स्तम्भ हैं :  देश , काल व पात्र . अंग्रेजी में कहें तो   3 Ps ( Place, Period & Person ) से मिलकर एक त्रिभुज की रचना होती है जिसके अंतर्गत आने वाला क्षेत्रफल आपकी तकदीर के क्षेत्रफल को तय करते हैं . अब मैं  तकदीर के त्रिभुजाकार खेत का हिसाब किताब बताता हूँ .


 जैसा कि आप चित्र में देख सकते हैं  , तकदीर के त्रिभुज की तीन भुजाएं हैं :


1.  देश या स्थान  ( Place ) 

 यह तकदीर तय करने की पहली  भुजा है . इसके छोटे या बड़े होने से आपकी तकदीर का क्षेत्रफल  कम या ज्यादा हो सकता है. स्थान में कई अर्थ शामिल हैं जो प्याज की परतोँ की तरह लागू होते है. इसमें इकाई के अंक पर आपका रहने , सोने या आफिस का कमरा आता है जो निजी रूप  में आपके काम आता है.  . दहाई के अंक पर पूरे मकान , फ़्लैट या आफिस का साइज व लोकेशन आती है.  सैकड़े के स्थान पर मुहल्ला व हजार के स्थान पर शहर आता है. दस हजारवें पर राज्य व लाखवें स्थान पर देश या राष्ट्र का परिवर्तन आता है.

इस  तरह से हम समझ सकते हैं कि स्थान परिवर्तन का फल तकदीर पर अवश्य पड़ता है भले ही वह 1 के बराबर हो या लाख के बराबर. पुन: यह परिवर्तन लाभ या हानि दोनोँ ही कराने में समर्थ है. तो विदेश जाने से आपकी हैसियत बहुत ज्यादा बन सकती है या बहुत कम भी हो सकती है.  

2.  पात्र या Entity 

  तकदीर की दूसरी भुजा सजीव व्यक्तियोँ या सजीव व्यक्तियोँ द्वारा संचालित संस्थाओँ  से संबधित है. इसमें भी प्याज की परतोँ की तरह छोटे और बड़े लेवल हैं . इसमें सबसे बड़ी परत या लाख वाला अंक आप स्वयं हैं और इसमें आपका स्वास्थ्य , शारीरिक व मानसिक क्षमताएं , मानसिक सोच आदि शामिल हैं . दस हजार की परत  पर  आपके घर में ज्यादातर स्थायी निवास करने वाले सदस्य हैं, हजार के लेवल पर आपके रिश्तेदार , परिचित , मित्र , पड़ोसी आदि  होते हैं  .  सैकड़े के अंक पर आपके व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति , दहाई के अंक पर नौकर , बहुत दूर के रिश्तेदार तथा इकाई के अंक पर अजनबी व्यक्ति आते हैं . 

3.  काल  या   Time Period  

तकदीर की तीसरी भुजा काल ,समय या युग है. यह भुजा हमारे नियंत्रण से बाहर है  और बेहतरी इसी में है कि इसके हिसाब से चला जाए . ऊपर के चित्र में आप देख सकते हैं कि यह भुजा त्रिभुज का आधार है. इसका अर्थ है कि बाकी दोनोँ भुजाएं देश व पात्र भी इसके  आधीन हैं . 

   समय की परतें अंतहीन हैं और इनका प्रत्येक भाग परमाणु की तरह है जो चाहे तो अनंत समय तक निष्क्रिय रहे और जब चाहे तो परमाणु विस्फोट कर सब कुछ अस्त व्यस्त कर दे . आदि शंकराचार्य ने काल की महिमा का वर्णन इस तरह किया है : " मा कुरु धन जन यौवन गर्वं ,हरति निमेषात्कालः सर्वम्" जिसका अर्थ है कि धनबल , जनबल ( Acquaintances)   और यौवन का घमंड उचित नहीं  है क्योँकि काल  या  समय इन्हें पलक झपकते नष्ट कर सकता है .  

  तकदीर के त्रिभुज की तीन भुजाएं हैं  . इसका आधार  समय अदृश्य है , जबकि पात्र सजीव और स्थान निर्जीव है. इस प्रकार , सबसे ज्यादा  समय  ताकतवर है और यह  तकदीर की बाकी दो भुजाओं स्थान व पात्र को भी क्षण में बदल सकता है जबकि समय को बाकी दो भुजाएं नहीं बदल सकती हैं .   

तकदीर कैसे बदल सकती  है ?

1 -  काल  द्वारा  
 
     ऊपर के विमर्श से यह स्पष्ट है कि तकदीर का मुख्य आधार काल या समय है . मैंने एक अन्य लेख   में स्पष्ट किया है कि समय की प्रवृत्ति चक्रीय है यानी यह एक चक्र या गोले जैसा है जो लगातार धीमी गति से घूमता रहता है , इसीलिए हमारी घड़ियाँ गोल होती हैं . समय के चक्रीय होने का प्रमुख कारण हमारे सभी आकाशीय ग्रहोँ आदि का गोल आकार व गोल घूमना है. ज्यादा जानने के लिए यहाँ क्लिक करें  http://lekhagar.blogspot.in/2011/09/what-is-scientific-basis-of-forcasting.html

अब वृत्त या गोल आकृति की एक खासियत होती है कि अगर उसके किसी भी बिंदु को सर्वोच्च बिंदु मान लिया जाए तो ठीक  180 अंश बाद उसका निम्नतम बिंदु होगा . इस तरह समय रूपी निरंतर चलते झूले पर सवार व्यक्ति अगर कुछ न भी करे , तो भी एक समय बाद वह उत्थान से पतन व पतन से उत्थान की ओर पहुँच जाएगा . 

  इसलिए मैंने कहा कि समय रूपी तकदीर की आधार भुजा को तुरंत बदलना आदमी के वश में नहीं है पर अपना समय  अधोगति ( downward) पर है या  ऊर्ध्वगति पर (upward) , यह जानना संभव है और उसके अनुरूप आप अपनी योजना बना सकते हैं . 

   यह समय या काल की गति का ही कमाल होता है कि पहले विश्व  अर्थव्यवस्था में  अभूतपूर्व तेजी आती है और सत्तारूढ़ दल  इसका श्रेय अपने अच्छे मैनेजमेंट को देते हैं , और फिर जब समय की गति से अभूतपूर्व मंदी आती है तो सत्तारूढ़ दल उसका दोष  विश्वव्यापी मंदी पर डाल कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं . 

यह समय की चक्रीय व्यवस्था का ही कमाल है कि राजा - रंक  , दिन - रात , तेजी - मंदी , सुशासन - कुशासन , बाढ़ - सूखा , सर्दी - गर्मी , निर्माण-ध्वंस की चक्रीय व्यवस्था हमेशा चलती रही है और भविष्य में भी चलती रहेगी .
    
तो अगर आप यथावत रहें  और कुछ भी परिवर्तन नहीं करें  तो भी तकदीर का पहिया चलता रहेगा और आपकी तकदीर बदलेगी।  जैसे आप बूढ़े हो जाएंगे या  आप के आस पास का रहन सहन व परिवेश बदल जाएगा . 

उदाहरण के लिए , गुडगाँव के पास एक गाँव का भेढ़ चराने वाला किसान , साठ साल की उम्र में 5 करोड़ का मालिक हो गया, क्योँकि बिल्डरोँ  ने उसकी बंजर जमीन 5 करोड़ में इसलिए खरीदी क्योँकि उसकी जमीन के पास से  एक्सप्रेस हाइवे निकल गया था  . इसी तरह बिहार में कोसी नदी से सटे गाँव के करोडपति किसान , कोसी की 2007  की बाँध फटने से हुई तबाही में रातोँ - रात भिखारी बन गए .ऐसा ही गुजरात के 2001 के भूकंप के समय हुआ था . 

   कहने का मतलब यह है कि समय द्वारा भी तकदीर का परिवर्तन होता है पर उसे रोकना या बदलना हमारे वश में नहीं है और उसे नम्रता के साथ स्वीकार करना ही उचित है . अब हम स्थान व पात्र परिवर्तन पर विचार करते हैं . 

2 .  स्थान द्वारा 
  
       स्थान परिवर्तन , तकदीर बदलने का सबसे सहज उपाय है क्योँकि   व्यक्ति- परिवर्तन सजीव होने की वजह से कठिन है. तो अगर आप अपनी तकदीर  की  वर्तमान  हालत  से  संतुष्ट  नहीं हैं  , तो स्थान परिवर्तन करके देखिए .तबादले वाली नौकरी करने वाले लोग इस बदलाव को अच्छी तरह जानते और समझते हैं . विदेश जाने से होने वाले कायापलट भी इसके उदाहरण हैं . 

कुंडली विशेषज्ञ कई बार आपको बताते हैं  कि आपका भाग्योदय दूर देश में है . कई बार इसका उलटा भी होता है . अपने जन्मस्थान या देश में अच्छी तरक्की कर चुके लोग जब अन्य प्रदेशों या विदेश में पैर फैलाते हैं तो उन्हें घाटा शुरू हो जाता है . मैंने स्वयं कई लोगोँ को तकदीर में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए , स्थान परिवर्तन की सलाह दी है. 

निसंतान व्यक्ति जो संतान के लिए अनेक उपाय करते हैं , उनके लिए  स्थान परिवर्तन का उपाय अक्सर कारगर होता है , ख़ास तौर पर यदि स्थान परिवर्तन सहज रूप से हो रहा हो , जैसे नौकरी में तबादला . इसका एक स्पष्ट कारण भी है कि जिस बच्चे को जिस शहर या मकान या अस्पताल  में पैदा होना है , वहां आप को जाना ही पडेगा .  

 धन कमाने के लिए स्थान परिवर्तन के लिए ज्यादातर लोग तैयार रहते हैं .बिहार से अन्य प्रदेशोँ  में जाने वाले श्रमिक , खाड़ी देशोँ  में पैसा कमाने जाने वाले , विदेशोँ  में व्यवसाय के लिए जाने वाले लोग इसका उदाहरण हैं .  

  सेहत  खराब होने पर या इलाज के लिए बाहर जाना स्थान परिवर्तन द्वारा तकदीर बदलने का उदाहरण है. इसका एक अन्य उदाहरण  भी है. जिस तरह हमारे जन्म का स्थान निश्चित होता है उसी तरह मरने की जगह पर भी व्यक्ति नियत समय पर अवश्य पहुंचता है .  

    --- दूसरे   भाग में " कैसे जाने कि तकदीर  परिवर्तन  सुखद होगा या  दुखद ? आगे पढने के लिए क्लिक करें http://ycshukla.com/entries/astro-believer-non-believer/%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%A6-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%A6


 








       

  

No comments:

Post a Comment