Saturday 5 January 2013

असली ब्रेकिंग न्यूज की चर्चा कब तक ? ज्योतिष से जानिये ...

     ज्योतिष के कितने प्रयोग हमारी रोज़मर्रा की जिन्दगी में हो सकते हैं,  मैं उनके कुछ उदाहरण इस ब्लॉग के जरिये आगे आने वाले दिनोँ में प्रस्तुत करूंगा।  हम सभी लोग टीवी के ब्रेकिंग न्यूज से परिचित हैं।मैं यहाँ असली वाली  ब्रेकिंग न्यूज की बात  कर रहा हूँ . यह कब शुरू होगी यह जानना काफी कठिन है ,ठीक वैसे ही जैसे कि  यह जानना कि  शादी के बाद दंपत्ति को संतान कब होगी . लेकिन संतान होने के बाद उसकी आयु के बारे में बताना आसान है, जो एक दिन से लेकर 100 साल तक हो सकती है। 

      ज्योतिष से ब्रेकिंग न्यूज की उम्र कितनी होगी, यह जानना थोड़ा सरल है।इसका रहस्य सिर्फ इतना है कि 9 ग्रहोँ में से पृथ्वी  से धीमी गति से चलने वाले ग्रहोँ के राशि परिवर्तन , वक्री या मार्गी होने  या आपस में मिलने से  ब्रेकिंग न्यूज की शुरुआत होती है। इनमें शनि , राहु -केतु  , गुरु व मंगल ही धीमी गति से चलने वाले ग्रह  हैं  .अत: इन्हीं ग्रहोँ की  चाल व  चरित्र के विवेचन से ब्रेकिंग न्यूज की अवधि का पता लगाया जा सकता है।

अब मैं देश को हिला देने वाली 16 दिसम्बर 2012 की दिल्ली की शर्मनाक घटना की  ब्रेकिंग न्यूज  की समयावधि की चर्चा करूंगा ...

1.  इस घटना का अंतर्राष्ट्रीय असर क्योँ हुआ , यह जानने के लिए पहले मैं भारत की स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947, मध्यरात्रि की कुंडली की थोड़ी चर्चा करना आवश्यक समझता हूँ।         



ज्योतिष में किसी भविष्यवाणी के लिए शुद्ध समय ज्ञात होने पर उसकी कुंडली बनाई जाती है . उसके बाद उसमें चन्द्रमा की नक्षत्र  स्थिति से उसका  विंशोत्तरी दशा क्रम तय होता  है और चन्द्र राशि से गोचर ग्रहोँ के रोज होने वाले परिवर्तन का असर देखा जाता है।दशा व गोचर के सम्मिलित फल से घटना का जन्म होता है। 

मैं एक उदाहरण से इसे स्पष्ट करना चाहूंगा। अगर आप के पास एक बड़ा खेती का भूखंड है तो उसकी सिचाई के लिए पानी दो तरीकोँ से मिल सकता है . एक बोरिंग से और दूसरा बारिश से  या दोनो  से . बोरिंग का जल आपके खेत की भूमिगत बनावट और भू जलस्तर पर निर्भर है जबकि बारिश आपके इलाके में सबके यहाँ एक सी होगी पर आपके खेत में कितना बारिश का पानी रुकेगा वह पुन: आपके खेत के ढलान  आदि पर निर्भर होगा . इसलिए पहाड़ोँ  पर बहुत बारिश होने पर भी पानी की कमी रहती है।

ऊपर के उदाहरण में बोरिंग या हैंडपंप  का पानी विंशोत्तरी(100+20=120 साल ) दशा के फल की तरह लम्बे समय तक व निश्चित मात्रा में  एक जैसा मिलता  है जबकि गोचर फल  बारिश के पानी की तरह मिलता है जिसकी अवधि  तो सीमित होती  है पर  मात्रा न्यून से बाढ़ तक कुछ भी हो सकती है। 

भारत के लिए सूर्य महादशा फल :

भारत की कुंडली में चन्द्रमा कर्क (चौथी 4 ) राशि में है।इसके अनुसार वर्तमान में सूर्य महादशा 2009 से चल रही है जिसका समय UPA -2 की सरकार की शुरुआत  से मिलता जुलता है।    

 भारत की लग्न वृष है , जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन 1965 तक शनि ,1982 तक बुध ,1989 तक केतु व 2009 तक स्वयं शुक्र की महादशा चली . इनमें केतु को छोड़ कर बुध व् शनि लग्नेश के मित्र थे और 1989 से 2009 तक लग्नेश शुक्र स्वयं महादशा का स्वामी था .इसलिए ज्यादातर समय भाग्य ने सरकारोँ का साथ दिया , केवल केतु महादशा में सरकार की मुखिया इंदिरा गांधी को जान गवानी पड़ी .   

   अब 2009 से 2015 तक सूर्य , 2025 तक चन्द्र और 2032 तक मंगल ग्रहोँ  की    महादशायें चलेंगी जो लग्नेश शुक्र के शत्रु  ग्रहोँ की हैं . इनमें भी सूर्य दशा  सरकार के लिए , चन्द्र दशा आम जनता के लिए व मंगल दशा सशस्त्र  पुलिस व फ़ौज के लिए पीड़ा व अपमान का समय हैं .

वर्तमान सूर्य महादशाके अंदर  15 अगस्त 2012 से 30 अप्रैल 2013 तक सूर्य के धुर विरोधी शनि की अन्तर्दशा है।सूर्य वैसे भी चौथे सुख भाव का स्वामी है जो ज्यादा आरामतलबी  करने पर अपमान देता  है। 
 इस प्रकार दशा व अन्तर्दशा दोनो ही सरकार के लिए ख़राब चल रही हैं।यानी बोरिंग फेल है।
  















गोचर फल ( बारिश का फल )

18 दिसंबर 2012  के निम्न  चार्ट में भारत की राशि कर्क ( 4) से गोचर दृश्य  देखिये। 
       


1. इसमें सबसे धीमें चलने वाला ग्रह शनि तुला राशि में दिख रहा है जो नवम्बर 2011 से 2014 अंत तक वहीं रहेगा . शनि भारत की राशी कर्क से चौथे स्थान पर है और शनि की कर्क राशि  पर ढैय्या चल रही है। चौथे स्थान से शनि सीधे दशवें स्थान को 2014 तक देखता रहेगा . दसवां स्थान राज्यसत्ता के प्रमुख का माना गया है अत: शनि 2014 अंत तक भारत सरकार के लिए अपमानजनक स्थितियां उत्पन्न करता रहेगा . 

2. दिसंबर 2012 अंत से राहु-केतु भी तुला -मेष  में शनि के साथ आ चुके हैं और वे भी डेढ़ साल तक  इन्हीं परिस्थितियोँ  को बढ़ाएंगे .

3. किसी जगह गोला बारूद अगर इकठ्ठा  हो तो विस्फोट के लिए आग की आवश्यकता पड़ती है और यह विभाग मंगल ग्रह के पास है जो युवावस्था , गर्मी ,गुस्सा , आग ,बल प्रयोग ,डकैती   व किसी भी प्रकार की दुर्घटना से होने वाली  शारीरिक हानि का कारक है।

वर्तमान घटना 16 दिसंबर की रात में शुरू होती है लेकिन मंगल ग्रह का प्रवेश मकर राशि में 18 तारीख को होता है और दशम स्थान पर उसकी चौथी दृष्टि  पड़ते ही गोचर में सबसे विस्फोटक योग बनता है और इससे पहले कि सरकार संभले , एक मामूली घटना अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय घटना बन जाती है .

आप अखबार उठा के देखिये , 17 व 18 तारीख के अखबार  में पहले पेज में इस न्यूज का  कोई ज़िक्र नहीं है लेकिन 19 तारीख से ब्रेकिंग न्यूज पहले पेज पर जो  चालू हुई तो वह अभी तक रुकी नहीं है और भारत सरकार के साथ अन्य प्रदेश सरकारोँ   की नींद हराम है। अन्दर के भी सभी पेज सिर्फ रेप की घटनाओं से भरे पड़े हैं .
  
ज्योतिष में बुरी घटनाओं के लिए खराब महादशा ,खराब अंतरदशा , शनि की ढैय्या या साढ़े साती का प्रमुख योगदान माना जाता है . आज की तारीख में यह तीनो तो भारत की कुंडली में लागू हैं ही , बल्कि राहू-केतु व मंगल भी अपना योगदान 18 दिसम्बर से कर रहे हैं। 

इनके अलावा धीमी चाल से चलने वाला सिर्फ गुरु ग्रह है जो  शुभ ग्रह होकर दुर्घटना को कम कर सकता था लेकिन दसवें भाव से अलग वह 11वें भाव में बैठा है अत: सरकार की जितनी मज़म्मत  होनी थी हुई .  हाँ , जन आंदोलन  में जो हिंसा संभावित थी  वह गुरु की नवीं दृष्टि की वजह से  नहीं हुई .


 ऊपर  के चित्र में आप देख सकते हैं मंगल की  सीधी दृष्टि जनता  पर व चौथी दृष्टि सत्तारूढ़ दल पर या सरकार पर है। शनि की सीधी दृष्टि सरकार पर व दसवीं पूर्ण  दृष्टि जनता पर है . अत: शनि व  मंगल दोनो ही जनता ( पीड़ित व्यक्ति ) व सरकार दोनो के लिए सरदर्द हैं।
 गुरु की एक मात्र दृष्टि इनमें से केवल मंगल  व जन आन्दोलनकारियोँ  पर है जो नेताओं के बहकावे में न आकर अहिंसक विरोध करती रही  . पुलिस मंगल की प्रतीक है और गुरु की भाग्य दृष्टि होने की वजह से अपराधियोँ को शीघ्र पकड़ने में कामयाब रही और कुछ इज्जत बचा सकी .
 राहु (विदेश का कारक)  की दृष्टि की वजह से सरकार को अंतर्राष्ट्रीय निंदा का सामना भी करना पड़ा और सिंगापुर के इलाज का नाटक करना पड़ा .गुरु दृष्टि जनता पर न होने से पीड़िता की मृत्यु 18 तारीख के बाद तय थी .    

ब्रेकिंग न्यूज कब तक ?

18 दिसंबर से चली ब्रेकिंग न्यूज में कमी 26 जनवरी के बाद ही आयेगी जब मंगल मकर से निकल कर कुम्भ राशि में जाएगा . तब तक भारत की कुंडली में सरकार का  प्रतीक दशम भाव , शनि ,मंगल ,राहु -केतु की जकड़ में रहेगा . 

स्थितियां 26 जनवरी के बाद भी तनाव पूर्ण (शनि व  राहु केतु  का उपद्रव जारी रहेगा) ) किन्तु  मंगल रूपी  माचिस के  न होने से स्थिति कुछ नियंत्रण में रहेगी .

शनि व  मंगल के उपद्रव का कुछ छोटा एपीसोड आपको 13 अप्रैल 2013 से मई 2013 अंत तक फिर से देखने को मिल सकता है  जब मंगल रूपी माचिस  स्वयं अपनी ही राशि मेष में दशम स्थान पर तंग करने फिर से  पहुँच चुका होगा, केतु वहां  अभी से  मौजूद है और शनि  व राहु  वहां अभी से  दृष्टि डाल रहे हैं  और गुरु मुंह फेरकर अलग थलग अभी की तरह बैठा रहेगा .     
      



अंत में घटनाके अभूतपूर्व होने के ज्योतिषीय कारणों पर प्रकाश डालना भी आवश्यक है।

       पहले तो घटना कई  मामलोँ  में अभूतपूर्व है . भारत  में  , दिल्ली में ही 1 करोड़ से ऊपर की आबादी है  जिसमें दसियोँ  लाख नवजवान  आबादी  ऐसी है जो अकेले रहती है और जिस की  सेक्स की भूख  समाजस्वीकृत  तरीकोँ  से  पूरी नहीं हो सकती . इसलिए कितना ही प्रवचन दें , क़ानून का डर दिखाएँ , पुलिस बढायें , रेप और गैंग  रेप को पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल है। 

    भारत सरकार के कर्णधारोँ  के लिए दिल्ली में गैंग रेप एक मामूली क़ानून व्यवस्था की समस्या से ज्यादा कुछ नहीं होना चाहिए था . सन 2012 में ऐसी जाने कितनी घटनाएं दिल्ली में हो चुकी होँगी ।  फिर ऐसा क्या योग था जो प्रधानमंत्री व सोनिया गांधी रात को कड़ाके  की ठण्ड में 4 बजे एक अनाम गुमनाम लड़की के शव को रिसीव करने और श्रद्धांजलि देने एयरपोर्ट पर पहुंचे . हालांकि राहुल गांधी सदा की तरह कहीं अदृश्य थे . ऐसा पहले कब हुआ कि  सरकार और बड़े लोगोँ  ने एक अनाम साधारण नागरिक के दुःख में अपने नए साल के जश्न कैंसिल कर दिए होँ .ऐसा तो विलास राव देशमुख के मन्त्री के तौर पर मरने पर नहीं हुआ .   

इसका स्पष्ट ज्योतिषीय कारण है . 

1. शनि  व मंगल का मिलन गुरु की अनुपस्थिति में कलह व  दुर्घटना का कारण माना जाता है . शनि जनता व मंगल सुरक्षा बलोँ का कारक माना जाता है . दोनो  ही ग्रह एक साथ उच्च के होने से घटना को न सिर्फ उच्चता व   ख्याति मिली बल्कि जन सुरक्षा के उच्च मापदंडो की चर्चा भी हुई . 

2.  शनि 30 वर्ष में एक बार ही उच्च राशि तुला में जाता  है . राहू -केतु 9 या 18 साल में ही एक बार मेष या तुला में हो सकते हैं . मंगल मकर राशी में 2 साल में एक बार ही उच्च का होता है . तीनोँ ग्रह एक साथ मेष राशि को इस स्थिति में पीड़ित कर सकें , ऐसा गृह योग 30 से 100 साल में एक बार ही हो सकता है . पुन:  उसी समय  गुरु ग्रह की मेष राशि पर किसी भी तरह की शुभ दृष्टि न हो , ऐसा योग  होना तो शायद 100 साल में भी मुश्किल है। अत: घटना वाकई अभूतपूर्व थी . 

3. पिछले एक महीने में महिलाओं पर इसी तरह की अत्याचार की कई घटनाएं हुईं जैसे पंजाब में अकाली दल के कार्यकर्ता द्वारा पुलिस इंस्पेक्टर की बेटी से छेड़छाड़ और इंस्पेक्टर पिता द्वारा पूछताछ  पर उसी की हत्या कर दी गयी  .लेकिन समय की ताकत उस घटना के साथ न होने से वह ब्रेकिंग न्यूज  सिर्फ पंजाब तक  ही एक दो दिन चली।  

    अत: यह कहा जा सकता है  कि ग्रहोँ  के अद्भुत योग से ही ब्रेकिंग न्यूज शुरुआत  होती है और योग समाप्त होने पर ख़त्म भी हो  जाती है।                  






Friday 4 January 2013

Sky High Expectations from Jyotish


     मेरे कुछ साथियोँ का कहना है कि मेरे प्रिय विषय कम्प्यूटर ,इंजीनियरिंग , तकनीकी , प्रबंधन और क़ानून भी हैं, फिर मैंने इंजीनियर के व्यवसाय को छोड़कर ज्योतिष को ही क्यों चुना ? इसका उत्तर प्रस्तुत लेख में है 

  आज शिक्षा के  सभी क्षेत्रों  में नई पीढ़ी के लाखों व्यक्ति हरेक स्तर पर देश व विदेश में पढ़ व शोध कर रहे हैं। लेकिन ज्योतिष 17वीं शताब्दी में जहां रुका था , आज भी वहीं रुका है,  जबकि हमारे देश में ज्योतिष से अच्छी रिसर्च की परम्परा किसी शास्त्र के पास नहीं थी।

17वीं शताब्दी में अंग्रेजो के आने तक , भारतवर्ष का सबसे बड़ा निर्यात ज्ञान व विज्ञान और उसमें भी सबसे ज्यादा  सिर्फ ज्योतिष ही था , जिसकी पूरी दुनिया दीवानी थी। अरब देशो में इस्लाम धर्म का चलन होने के बावजूद , भारत में अरब से हज़ारो छात्र सिर्फ ज्योतिष सीखने ही आते थे। इस विज्ञान से प्रभावित होकर मुग़ल बादशाहों ने अपने राजकुमारों को संस्कृत व ज्योतिष  की शिक्षा भी दिलवाई ,जिनमे दाराशिकोह का नाम उनके संस्कृत ज्ञान के लिए  प्रसिद्ध  है। 

केरल  से सीखा हुआ प्रश्न ज्योतिष शास्त्र अरब देशों से होता हुआ ताजिकिस्तान पहुंचा .उत्तर भारत में हम तो उसे भूल ही गए थे पर जब हमने मुग़ल सेनापतियो को युद्ध में इस शास्त्र को प्रयोग करते देखा तो हमने उसे पुन: सीखा और उसे ताजिक शास्त्र का नाम दिया। इस शास्त्र में ग्रहों  के योगों  के नाम आज भी ताजिक भाषा में हैं और ताजिक शास्त्र का प्रयोग वर्षफल निकालने में आज भी  होता है।

प्राचीन भारत में ज्योतिष  इसी लिए समृद्ध था क्योंकि  उस समय का सबसे मेधावी छात्र ज्योतिष ही पढ़ता था .नालंदा और तक्षशिला में प्रवेश परीक्षा  देने  भारत के प्रदेशों से ही नहीं अपितु अरब देशो से भी लोग वैसे ही आते थे जैसे अब GRE TOEFL भारत के छात्र देते  हैं .

  इन विश्वविद्यालयों  से शिक्षा प्राप्त ज्योतिषियों  को राजाओं व बादशाहों के दरबार में जीवन पर्यन्त सम्मानजनक जीविका की गारंटी थी। ऐसे विद्वानों   द्वारा ही  ज्योतिष पर नित नए ग्रन्थ लिखने, शास्त्रार्थ करने से ज्योतिष शास्त्र ने उत्तरोतर प्रगति की .

जरा सोचिये यदि आज  सिर्फ़ 17वीं सदी तक के विज्ञान का ही प्रयोग किया जाए तो हमारी दुनिया कैसी होगी ? विज्ञान से हमें नित नये चमत्कार इसलिए मिल रहे हैं क्यों कि उसमें खरबों  डालर का निवेश हर साल दुनिया भर में किया जाता है। ज्योतिष में अगर उसका 0.01 % प्रतिशत निवेश ही कर दिया जाए तो विज्ञान से 100 गुना फल तो मिल ही सकता  है बल्कि समाज व पर्यावरण का संतुलन भी संभव हो सकता है।

अफ़सोस की बात है तो यह है कि आज इस शास्त्र से जीविका चलाने वाले 17वीं शताब्दी तक किये गए शोध से ही काम चला रहे हैं .पिछले साठ पैसठ वर्षो में ज्योतिष का ठेका सरकार ने संस्कृत विश्वविद्यालयों  को देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली है। इन विश्वविद्यालयो के शिक्षको के लिए यह नौकरी पहले दिन से ही पेंशन की तरह है। कई जगह बिहार में कुछ विद्यालयों में संस्कृत शिक्षकों  की संख्या छात्रों  से ज्यादा है ,यह मैंने खुद देखा। 

    दूसरा कारण यह है कि आज किसी छात्र को मेधावी तभी माना जाता है जब वह पहले इंजीनियरिंग , तकनीकी , प्रबंधन आदि व्यावसायिक कोर्स पढ़े , बाद में भले ही वह आईएस,आईपीएस बने या अखिलेश यादव , नीतीश कुमार ,चेतन भगत , राम गोपाल वर्मा ,हर्षा भोगले , श्रीकांत की तरह अन्य व्यवसायों में झंडे गाड़े। 

   तो संस्कृत व ज्योतिष में  शुरू से मेधावी छात्र आते ही नहीं और जो आ जाते हैं ,उन्हें मेधावी शिक्षक न मिलने से वे तोता रटंत बन कर निकलते हैं और उन्हें कोई मेधावी मानता नहीं।

ऐसे में मुझे आज के मेधावी तकनीकी व प्रबंधन के स्नातक जो  उच्च पदों  पर सुशोभित हैं  उनकी बुद्धि पर तरस आता है, जब वे सबके सामने ज्योतिष की बुराई करते मिलते हैं। और व्यक्तिगत संकट के समय यही लोग घटिया से घटिया ज्योतिषी की शरण में जाकर लाल किताब के टोने टोटके न सिर्फ करते हैं बल्कि टीवी चैनेल पर इनके प्रोग्राम भी पैसे के चक्कर में चलाते हैं। बाद में ज्योतिषी की भविष्यवाणी गलत होने की जोर जोर से चर्चा भी करते हैं।  कोई इनसे यह नहीं पूछता है कि आप वहां गए क्यों थे ? 

अब अगर कोई भी गाय या भैंस पालेगा ही नहीं तो शुद्ध दूध की उम्मीद रखना बेवकूफी ही है। अगर आपको स्वर्ण की पहचान ही नहीं है तो आपको कोई कुछ भी पकड़ा कर चला जाएगा।
 इतने काबिल हिन्दी चैनलो के ज्ञानी पत्रकार हर साल दो बार पड़ने वाले सूर्य व् चन्द्र ग्रहण के समय टी आर पी बढाने के लिए ज्योतिष के अक्षम या सक्षम होने पर बहस आयोजित करते हैं। गलती से इन वादविवाद में यदि श्री के एन राव जैसे ज्योतिषी आ जाते हैं तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता है और बहस को ग्रहण समाप्त होते ही बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे ही समाप्त कर दिया जाता है। अंग्रेजी टीवी चैनलों  के लिए तो यह कोई विषय ही नहीं है।

लेकिन इनमें से एक भी पत्रकार को कभी भी यह नहीं लगा  कि चलो मैं ही एक पत्रकार के नजरिये से ज्योतिष पढूं और फिर सबको अपना अनुभव बताऊं और चैनल पर बुलाए गए ज्योतिषियों  से उच्च स्तरीय सवाल पूछूं  ।

 जब हम ज्योतिष को कुछ भी देने को तैयार नहीं हैं तो फिर ज्योतिष से इतनी उम्मीदें क्यों  ?याद रखिये किसी भी विज्ञान को हमारी जरूरत नहीं है , हमें अपने भले के लिए सभी तरह के विज्ञान और शास्त्र की जरूरत है। जबतक राव साहब की तरह बड़ी संख्या में अन्य व्यवसाय में पारंगत व्यक्ति ज्योतिष को सीखकर उसमें कुछ नया नहीं जोड़ेंगे , तब तक आपको 17वीं सदी के आउट ऑफ़ डेट ज्योतिष से ही काम चलाना पडेगा।

In 2013 , Welcome to YCSHUKLA.COM ...



आप सभी को साल 2013 की शुभकामनाएं ...


नए साल में यह मेरी पहली पोस्ट है . अगस्त 2012 से मैं काफी व्यस्त चल रहा था क्योंकि मैंने पावरग्रिड की चीफ मैनेजर की नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था । अक्टूबर 2012 में नौकरी का औपचारिक समापन भी हो गया है।
 
सरकारी नौकरी की औपचारिकताओं व बाध्यताओं से मुक्त होकर मैं अब अपना ध्यान रोचक विषयों में लगाना चाहूंगा जिसमें ज्योतिष प्रमुख रूप से शामिल है।इसके लिए मैंने YCSHUKLA.COM नाम से एक वेबसाईट शुरू की है जिसका लिंक ऊपर दिया गया है। 

मेरी वेबसाईट स्वान्त: सुखाय है अर्थात यह स्वयं के  आनंद के लिए और मेरे जैसा सोचने वालों के लिए ही है।पैसा सबसे बाद की प्राथमिकता है। अत: मेरी वेबसाईट पर आइये , आनंद लीजिये , अपने कमेन्ट डालिए और यदि कभी ज्योतिष से जुड़े प्रश्न उठें तो उन्हें पूछिए। 

व्यक्तिगत प्रश्नों को तभी पूछिए जब आप अन्य लोगों से पूछ पूछ कर परेशान और कन्फ्यूज हो गए  हों . हाँ , ऐसे में आपको पहले प्रश्न के लिए 5100/- रुपये से पंजीकरण कराना होगा। भविष्य में आप साधारण प्रश्न के लिए 1100/- 2100/- रुपये अन्य प्रश्न के लिए देकर इमेल से प्रश्न भेज कर उत्तर ईमेल या मोबाइल से प्राप्त कर सकेंगे। पहले प्रश्न की फीस इसलिए ज्यादा है क्योंकि पहली बार में पूरा काम ज्यादा समय में करना होता है और बाद में वह अन्य प्रश्नों के लिए आधार की तरह काम करता है। ऊपर YCSHUKLA.COM लिंक को क्लिक करने से आपको अन्य जानकारी मिलेगी।     

 वैसे मेरा अंतिम लक्ष्य लोगों के रोजमर्रा की जिन्दगी की समस्या का ज्योतिषीय समाधान करना नहीं है। मैं खांसी जुकाम बुखार का इलाज करने के बजाय मेडिकल कालेज के रेफरल केसेज करना चाहूंगा। या जो व्यक्ति अपनी जिन्दगी की SWOT Analysis  ( Strength , Weakness, Opportunity , Threat ) ज्योतिष से कराना चाहते हैं , उनका भी स्वागत है।   

मेरा अन्तिम लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को वास्तविक ज्योतिष से परिचित कराना है जिससे लोग ज्योतिष के नाम पर ठगे न जाएं . ऐसे में मेरी सलाह में रत्न,लाल किताब के नुस्खे ,पूजा पाठ,कर्मकांड के लिए कोई स्थान नहीं है. जिनको ऐसे शार्टकट उपायों की आवश्यकता  हो वह अन्य वेबसाईट  पर  जाएं

मेरी ज्योतिष ग्रहों के गणितीय विवेचन पर आधारित है और मैं आपको अपनी जिन्दगी को ईश्वर प्रदत्त डिजाइन के अनुसार चलाने की सलाह दूंगा जिससे आप अपनी पूरी संभावनाओं का इस्तेमाल करते हुए सुख से जियें। 

याद रखिये ! जिंदगी में कोई शार्टकट नहीं होता है , फिर ज्योतिष में भी कैसे हो सकता है। हाँ , आप सोचते  हैं, यह आपके रहन सहन और शिक्षा से तय होता है। 17वीं सदी में जो ज्योतिषीय उपाय व अर्थ सही थे वे 21वीं सदी में व्यर्थ हो चुके हैं लेकिन उनकी जगह अब अन्य साधन आ चुके हैं     शहरों में अब व्यक्ति सर्पदंश योग में सांप काटने से नहीं बल्कि सांप जैसे गलत इंजेक्शन लगने से अस्पताल में मरता है !    


HAPPY  NEW   YEAR   2013 


This is first post in 2013. I was quite busy after August 2012 as I had decided to wind up my Chief Manager's job at Powergrid Corporation and it formally ended on 31st October 2012. 

 After getting freedom from government service , I am now free to devote my time to the interesting topics including astrology as my full time profession and obsession. For this I have started a website YCSHUKLA.COM . Link is provided above.


My website is for serious astrological consultancy , targetted to premium segment. For usual daily issues of predictions, it is better to visit other astrological sites. 


I would prefer critical cases ,where astrology's true potential may be used and the cases can be used for research as done in Medical College. I would welcome the professionals in any field , who are curious about astrology and its applications in their professional and professional area. 

My ultimate target is to make people astrology-literate  so that nobody can cheat people in the name  of  astrology.So my astrology  has no place for fasting, ,Mantra, Yantra, Lal Kitab , Ratna , Gems etc . It is based on pure mathematical analysis of planets's placement and planet's characteristics. And my advice is based on design report of Kundli and I suggest lifestyle changes to  comply with that design.

Life has no shortcuts so astrology also has no shortcuts. For shortcuts and instant results ( like steroid medicines) , please go to other sites.