Saturday 5 January 2013

असली ब्रेकिंग न्यूज की चर्चा कब तक ? ज्योतिष से जानिये ...

     ज्योतिष के कितने प्रयोग हमारी रोज़मर्रा की जिन्दगी में हो सकते हैं,  मैं उनके कुछ उदाहरण इस ब्लॉग के जरिये आगे आने वाले दिनोँ में प्रस्तुत करूंगा।  हम सभी लोग टीवी के ब्रेकिंग न्यूज से परिचित हैं।मैं यहाँ असली वाली  ब्रेकिंग न्यूज की बात  कर रहा हूँ . यह कब शुरू होगी यह जानना काफी कठिन है ,ठीक वैसे ही जैसे कि  यह जानना कि  शादी के बाद दंपत्ति को संतान कब होगी . लेकिन संतान होने के बाद उसकी आयु के बारे में बताना आसान है, जो एक दिन से लेकर 100 साल तक हो सकती है। 

      ज्योतिष से ब्रेकिंग न्यूज की उम्र कितनी होगी, यह जानना थोड़ा सरल है।इसका रहस्य सिर्फ इतना है कि 9 ग्रहोँ में से पृथ्वी  से धीमी गति से चलने वाले ग्रहोँ के राशि परिवर्तन , वक्री या मार्गी होने  या आपस में मिलने से  ब्रेकिंग न्यूज की शुरुआत होती है। इनमें शनि , राहु -केतु  , गुरु व मंगल ही धीमी गति से चलने वाले ग्रह  हैं  .अत: इन्हीं ग्रहोँ की  चाल व  चरित्र के विवेचन से ब्रेकिंग न्यूज की अवधि का पता लगाया जा सकता है।

अब मैं देश को हिला देने वाली 16 दिसम्बर 2012 की दिल्ली की शर्मनाक घटना की  ब्रेकिंग न्यूज  की समयावधि की चर्चा करूंगा ...

1.  इस घटना का अंतर्राष्ट्रीय असर क्योँ हुआ , यह जानने के लिए पहले मैं भारत की स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947, मध्यरात्रि की कुंडली की थोड़ी चर्चा करना आवश्यक समझता हूँ।         



ज्योतिष में किसी भविष्यवाणी के लिए शुद्ध समय ज्ञात होने पर उसकी कुंडली बनाई जाती है . उसके बाद उसमें चन्द्रमा की नक्षत्र  स्थिति से उसका  विंशोत्तरी दशा क्रम तय होता  है और चन्द्र राशि से गोचर ग्रहोँ के रोज होने वाले परिवर्तन का असर देखा जाता है।दशा व गोचर के सम्मिलित फल से घटना का जन्म होता है। 

मैं एक उदाहरण से इसे स्पष्ट करना चाहूंगा। अगर आप के पास एक बड़ा खेती का भूखंड है तो उसकी सिचाई के लिए पानी दो तरीकोँ से मिल सकता है . एक बोरिंग से और दूसरा बारिश से  या दोनो  से . बोरिंग का जल आपके खेत की भूमिगत बनावट और भू जलस्तर पर निर्भर है जबकि बारिश आपके इलाके में सबके यहाँ एक सी होगी पर आपके खेत में कितना बारिश का पानी रुकेगा वह पुन: आपके खेत के ढलान  आदि पर निर्भर होगा . इसलिए पहाड़ोँ  पर बहुत बारिश होने पर भी पानी की कमी रहती है।

ऊपर के उदाहरण में बोरिंग या हैंडपंप  का पानी विंशोत्तरी(100+20=120 साल ) दशा के फल की तरह लम्बे समय तक व निश्चित मात्रा में  एक जैसा मिलता  है जबकि गोचर फल  बारिश के पानी की तरह मिलता है जिसकी अवधि  तो सीमित होती  है पर  मात्रा न्यून से बाढ़ तक कुछ भी हो सकती है। 

भारत के लिए सूर्य महादशा फल :

भारत की कुंडली में चन्द्रमा कर्क (चौथी 4 ) राशि में है।इसके अनुसार वर्तमान में सूर्य महादशा 2009 से चल रही है जिसका समय UPA -2 की सरकार की शुरुआत  से मिलता जुलता है।    

 भारत की लग्न वृष है , जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन 1965 तक शनि ,1982 तक बुध ,1989 तक केतु व 2009 तक स्वयं शुक्र की महादशा चली . इनमें केतु को छोड़ कर बुध व् शनि लग्नेश के मित्र थे और 1989 से 2009 तक लग्नेश शुक्र स्वयं महादशा का स्वामी था .इसलिए ज्यादातर समय भाग्य ने सरकारोँ का साथ दिया , केवल केतु महादशा में सरकार की मुखिया इंदिरा गांधी को जान गवानी पड़ी .   

   अब 2009 से 2015 तक सूर्य , 2025 तक चन्द्र और 2032 तक मंगल ग्रहोँ  की    महादशायें चलेंगी जो लग्नेश शुक्र के शत्रु  ग्रहोँ की हैं . इनमें भी सूर्य दशा  सरकार के लिए , चन्द्र दशा आम जनता के लिए व मंगल दशा सशस्त्र  पुलिस व फ़ौज के लिए पीड़ा व अपमान का समय हैं .

वर्तमान सूर्य महादशाके अंदर  15 अगस्त 2012 से 30 अप्रैल 2013 तक सूर्य के धुर विरोधी शनि की अन्तर्दशा है।सूर्य वैसे भी चौथे सुख भाव का स्वामी है जो ज्यादा आरामतलबी  करने पर अपमान देता  है। 
 इस प्रकार दशा व अन्तर्दशा दोनो ही सरकार के लिए ख़राब चल रही हैं।यानी बोरिंग फेल है।
  















गोचर फल ( बारिश का फल )

18 दिसंबर 2012  के निम्न  चार्ट में भारत की राशि कर्क ( 4) से गोचर दृश्य  देखिये। 
       


1. इसमें सबसे धीमें चलने वाला ग्रह शनि तुला राशि में दिख रहा है जो नवम्बर 2011 से 2014 अंत तक वहीं रहेगा . शनि भारत की राशी कर्क से चौथे स्थान पर है और शनि की कर्क राशि  पर ढैय्या चल रही है। चौथे स्थान से शनि सीधे दशवें स्थान को 2014 तक देखता रहेगा . दसवां स्थान राज्यसत्ता के प्रमुख का माना गया है अत: शनि 2014 अंत तक भारत सरकार के लिए अपमानजनक स्थितियां उत्पन्न करता रहेगा . 

2. दिसंबर 2012 अंत से राहु-केतु भी तुला -मेष  में शनि के साथ आ चुके हैं और वे भी डेढ़ साल तक  इन्हीं परिस्थितियोँ  को बढ़ाएंगे .

3. किसी जगह गोला बारूद अगर इकठ्ठा  हो तो विस्फोट के लिए आग की आवश्यकता पड़ती है और यह विभाग मंगल ग्रह के पास है जो युवावस्था , गर्मी ,गुस्सा , आग ,बल प्रयोग ,डकैती   व किसी भी प्रकार की दुर्घटना से होने वाली  शारीरिक हानि का कारक है।

वर्तमान घटना 16 दिसंबर की रात में शुरू होती है लेकिन मंगल ग्रह का प्रवेश मकर राशि में 18 तारीख को होता है और दशम स्थान पर उसकी चौथी दृष्टि  पड़ते ही गोचर में सबसे विस्फोटक योग बनता है और इससे पहले कि सरकार संभले , एक मामूली घटना अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय घटना बन जाती है .

आप अखबार उठा के देखिये , 17 व 18 तारीख के अखबार  में पहले पेज में इस न्यूज का  कोई ज़िक्र नहीं है लेकिन 19 तारीख से ब्रेकिंग न्यूज पहले पेज पर जो  चालू हुई तो वह अभी तक रुकी नहीं है और भारत सरकार के साथ अन्य प्रदेश सरकारोँ   की नींद हराम है। अन्दर के भी सभी पेज सिर्फ रेप की घटनाओं से भरे पड़े हैं .
  
ज्योतिष में बुरी घटनाओं के लिए खराब महादशा ,खराब अंतरदशा , शनि की ढैय्या या साढ़े साती का प्रमुख योगदान माना जाता है . आज की तारीख में यह तीनो तो भारत की कुंडली में लागू हैं ही , बल्कि राहू-केतु व मंगल भी अपना योगदान 18 दिसम्बर से कर रहे हैं। 

इनके अलावा धीमी चाल से चलने वाला सिर्फ गुरु ग्रह है जो  शुभ ग्रह होकर दुर्घटना को कम कर सकता था लेकिन दसवें भाव से अलग वह 11वें भाव में बैठा है अत: सरकार की जितनी मज़म्मत  होनी थी हुई .  हाँ , जन आंदोलन  में जो हिंसा संभावित थी  वह गुरु की नवीं दृष्टि की वजह से  नहीं हुई .


 ऊपर  के चित्र में आप देख सकते हैं मंगल की  सीधी दृष्टि जनता  पर व चौथी दृष्टि सत्तारूढ़ दल पर या सरकार पर है। शनि की सीधी दृष्टि सरकार पर व दसवीं पूर्ण  दृष्टि जनता पर है . अत: शनि व  मंगल दोनो ही जनता ( पीड़ित व्यक्ति ) व सरकार दोनो के लिए सरदर्द हैं।
 गुरु की एक मात्र दृष्टि इनमें से केवल मंगल  व जन आन्दोलनकारियोँ  पर है जो नेताओं के बहकावे में न आकर अहिंसक विरोध करती रही  . पुलिस मंगल की प्रतीक है और गुरु की भाग्य दृष्टि होने की वजह से अपराधियोँ को शीघ्र पकड़ने में कामयाब रही और कुछ इज्जत बचा सकी .
 राहु (विदेश का कारक)  की दृष्टि की वजह से सरकार को अंतर्राष्ट्रीय निंदा का सामना भी करना पड़ा और सिंगापुर के इलाज का नाटक करना पड़ा .गुरु दृष्टि जनता पर न होने से पीड़िता की मृत्यु 18 तारीख के बाद तय थी .    

ब्रेकिंग न्यूज कब तक ?

18 दिसंबर से चली ब्रेकिंग न्यूज में कमी 26 जनवरी के बाद ही आयेगी जब मंगल मकर से निकल कर कुम्भ राशि में जाएगा . तब तक भारत की कुंडली में सरकार का  प्रतीक दशम भाव , शनि ,मंगल ,राहु -केतु की जकड़ में रहेगा . 

स्थितियां 26 जनवरी के बाद भी तनाव पूर्ण (शनि व  राहु केतु  का उपद्रव जारी रहेगा) ) किन्तु  मंगल रूपी  माचिस के  न होने से स्थिति कुछ नियंत्रण में रहेगी .

शनि व  मंगल के उपद्रव का कुछ छोटा एपीसोड आपको 13 अप्रैल 2013 से मई 2013 अंत तक फिर से देखने को मिल सकता है  जब मंगल रूपी माचिस  स्वयं अपनी ही राशि मेष में दशम स्थान पर तंग करने फिर से  पहुँच चुका होगा, केतु वहां  अभी से  मौजूद है और शनि  व राहु  वहां अभी से  दृष्टि डाल रहे हैं  और गुरु मुंह फेरकर अलग थलग अभी की तरह बैठा रहेगा .     
      



अंत में घटनाके अभूतपूर्व होने के ज्योतिषीय कारणों पर प्रकाश डालना भी आवश्यक है।

       पहले तो घटना कई  मामलोँ  में अभूतपूर्व है . भारत  में  , दिल्ली में ही 1 करोड़ से ऊपर की आबादी है  जिसमें दसियोँ  लाख नवजवान  आबादी  ऐसी है जो अकेले रहती है और जिस की  सेक्स की भूख  समाजस्वीकृत  तरीकोँ  से  पूरी नहीं हो सकती . इसलिए कितना ही प्रवचन दें , क़ानून का डर दिखाएँ , पुलिस बढायें , रेप और गैंग  रेप को पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल है। 

    भारत सरकार के कर्णधारोँ  के लिए दिल्ली में गैंग रेप एक मामूली क़ानून व्यवस्था की समस्या से ज्यादा कुछ नहीं होना चाहिए था . सन 2012 में ऐसी जाने कितनी घटनाएं दिल्ली में हो चुकी होँगी ।  फिर ऐसा क्या योग था जो प्रधानमंत्री व सोनिया गांधी रात को कड़ाके  की ठण्ड में 4 बजे एक अनाम गुमनाम लड़की के शव को रिसीव करने और श्रद्धांजलि देने एयरपोर्ट पर पहुंचे . हालांकि राहुल गांधी सदा की तरह कहीं अदृश्य थे . ऐसा पहले कब हुआ कि  सरकार और बड़े लोगोँ  ने एक अनाम साधारण नागरिक के दुःख में अपने नए साल के जश्न कैंसिल कर दिए होँ .ऐसा तो विलास राव देशमुख के मन्त्री के तौर पर मरने पर नहीं हुआ .   

इसका स्पष्ट ज्योतिषीय कारण है . 

1. शनि  व मंगल का मिलन गुरु की अनुपस्थिति में कलह व  दुर्घटना का कारण माना जाता है . शनि जनता व मंगल सुरक्षा बलोँ का कारक माना जाता है . दोनो  ही ग्रह एक साथ उच्च के होने से घटना को न सिर्फ उच्चता व   ख्याति मिली बल्कि जन सुरक्षा के उच्च मापदंडो की चर्चा भी हुई . 

2.  शनि 30 वर्ष में एक बार ही उच्च राशि तुला में जाता  है . राहू -केतु 9 या 18 साल में ही एक बार मेष या तुला में हो सकते हैं . मंगल मकर राशी में 2 साल में एक बार ही उच्च का होता है . तीनोँ ग्रह एक साथ मेष राशि को इस स्थिति में पीड़ित कर सकें , ऐसा गृह योग 30 से 100 साल में एक बार ही हो सकता है . पुन:  उसी समय  गुरु ग्रह की मेष राशि पर किसी भी तरह की शुभ दृष्टि न हो , ऐसा योग  होना तो शायद 100 साल में भी मुश्किल है। अत: घटना वाकई अभूतपूर्व थी . 

3. पिछले एक महीने में महिलाओं पर इसी तरह की अत्याचार की कई घटनाएं हुईं जैसे पंजाब में अकाली दल के कार्यकर्ता द्वारा पुलिस इंस्पेक्टर की बेटी से छेड़छाड़ और इंस्पेक्टर पिता द्वारा पूछताछ  पर उसी की हत्या कर दी गयी  .लेकिन समय की ताकत उस घटना के साथ न होने से वह ब्रेकिंग न्यूज  सिर्फ पंजाब तक  ही एक दो दिन चली।  

    अत: यह कहा जा सकता है  कि ग्रहोँ  के अद्भुत योग से ही ब्रेकिंग न्यूज शुरुआत  होती है और योग समाप्त होने पर ख़त्म भी हो  जाती है।                  






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