बेचारा वह बड़ा आदमी
उठने में सूरज से हारा ,
फिर भी हैंगोवर का मारा ,
कई किलोमीटर की जागिंग से भी
चढ़ा न उसके तन का पारा .
बेचारा वह बड़ा आदमी
पकड़ ट्रेड मिल खड़ा आदमी ,
पाले है सत्तर बीमारी ,
बीपी-शुगर पड़ रहे भारी ,
हलवा पूड़ी ,छप्पन भोग
छोड़ खाय उबली तरकारी .
बेचारा वह बड़ा आदमी ,
जीवन से भी डरा आदमी .
इनकम टैक्स वैट का चक्कर ,
कस्टम वालोँ से भी टक्कर
काले को सफ़ेद करने में
रोज़ चूर हो जाना थक कर .
दस पचड़ोँ में पड़ा आदमी ,
बेचारा वह बड़ा आदमी ,
बीवी की लम्बी फरमाईश ,
नापसंद बेटी की च्वाइस
जूते पर कब्जा कर बैठे
बेटे से भी जोर आजमाइश .
बस कॉलर का कड़ा आदमी
बेचारा वह बड़ा आदमी .
- ओम प्रकाश तिवारी